इमरान अहमद
ऐसा प्रतीत होता है कि राजद का रेनैसा आ गया। एक वक्त था जब सिवान के कुछ इलाकों मे माले की गुंडागर्दी चलती थी तब शहाबुद्दीन उनके गढ़ को धवस्त किए।
और अब छात्र राजद से बतौर छात्रसंघ अध्यक्ष के रेस मे हैं जयंत जिज्ञासु।
तब भी शहाबुद्दीन एआईएसएफ छोड़ लालु के संग हो लिए थे। और फिर समय के काल मे वहीं वक्त आया जब जयंत जिज्ञासु सीपीआई/एआईएसएफ के साथ साथ कन्हैया कुमार पर जातीवादी होने के इलजाम लगाकर अब तेजस्वी के रूबरू हो गए।और यहाँ पर माले चे छात्र संगठन आईसा को धवस्त करने को अग्रसर हैं।
जब जयंत अध्यक्षी भाषण दे रहे थे तब उसमें वो फातिमा शेख इत्यादी को याद किए और नजीब प्रकरण के सच्चाइयो से रू बरू कराऐं।
आगे जयंत बिहार के लेनिन जगदेव यादव के कथन "पहले पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे, दुसरे पीढ़ी के लोग जेल जाएंगे और तीसरी पीढ़ी के लोग राज करेंगे" को दुहराते हैं।
फिर जयंत कहते हैं कि ये राइट के बेशर्मी और लेफ्ट की मुनाफिकत के वजह से ये कैम्पस इस हाल मे आया है।
जयंत लेफ्ट के पाखंड और कपट को भी बड़ी जोरदार तरीके से उजागर किया जैसे आरक्षण पर उनका अंदरूनी विचार और वृंदा करात ऐवंम सुभाषिनी अली का महिला आरक्षण के अंदर आरक्षण पर कपटी विचार।
और अंत मे वो राही मासूम रजा के कृति के अंश "हमारा घर गाजीपुर है और यंहा से लखनऊ तो गए नही और तु हमके पाकिस्तान भेजेगा" को सुना कर भाजपा के पाकिस्तान भेजने के जुमले पर जोरदार कटाक्ष किए।
ऐसा प्रतीत होता है कि राजद का रेनैसा आ गया। एक वक्त था जब सिवान के कुछ इलाकों मे माले की गुंडागर्दी चलती थी तब शहाबुद्दीन उनके गढ़ को धवस्त किए।
और अब छात्र राजद से बतौर छात्रसंघ अध्यक्ष के रेस मे हैं जयंत जिज्ञासु।
तब भी शहाबुद्दीन एआईएसएफ छोड़ लालु के संग हो लिए थे। और फिर समय के काल मे वहीं वक्त आया जब जयंत जिज्ञासु सीपीआई/एआईएसएफ के साथ साथ कन्हैया कुमार पर जातीवादी होने के इलजाम लगाकर अब तेजस्वी के रूबरू हो गए।और यहाँ पर माले चे छात्र संगठन आईसा को धवस्त करने को अग्रसर हैं।
जब जयंत अध्यक्षी भाषण दे रहे थे तब उसमें वो फातिमा शेख इत्यादी को याद किए और नजीब प्रकरण के सच्चाइयो से रू बरू कराऐं।
आगे जयंत बिहार के लेनिन जगदेव यादव के कथन "पहले पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे, दुसरे पीढ़ी के लोग जेल जाएंगे और तीसरी पीढ़ी के लोग राज करेंगे" को दुहराते हैं।
फिर जयंत कहते हैं कि ये राइट के बेशर्मी और लेफ्ट की मुनाफिकत के वजह से ये कैम्पस इस हाल मे आया है।
जयंत लेफ्ट के पाखंड और कपट को भी बड़ी जोरदार तरीके से उजागर किया जैसे आरक्षण पर उनका अंदरूनी विचार और वृंदा करात ऐवंम सुभाषिनी अली का महिला आरक्षण के अंदर आरक्षण पर कपटी विचार।
और अंत मे वो राही मासूम रजा के कृति के अंश "हमारा घर गाजीपुर है और यंहा से लखनऊ तो गए नही और तु हमके पाकिस्तान भेजेगा" को सुना कर भाजपा के पाकिस्तान भेजने के जुमले पर जोरदार कटाक्ष किए।
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