वैसे राजकीय तिब्बी कालेज का ब्लूप्रिंट 28 मार्च 1915 के पटना मे आयोजित आयुर्वेद और यूनानी कांफ्रेस मे तैयार हो गया था। अलबत्ता इसका बुनियाद 29 जुलाई 1926 को हुआ।
और आज हालत क्या है हिंदूस्तान के पहले युनानी कालेज का, जो अभी भीकाॅलेज बी आर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय से संबंधीत है, कुछ दिनों पहले काॅलेज को विश्वविद्यालय बनाने की अवाज उठी थी।
अभी काॅलेज के छात्र/छात्रा धरने पर है और पूर्ण रूप से तालाबंदी है।
वहीं छात्रो का मुख्य माँग है कि विश्वविद्यालय बदल कर आर्यभट्ट नाॅलेज यूनिवर्सिटी कर दिया जाए और साथ अकादमीक कैलेंडर भी जारी किया जाए।
छात्र मश्कुर बताते हैं कि 2013 मे सिलेबस मे बदलाव तो किया मगर विश्वविद्यालय से स्वीकृति कराए बगैर और फिर एक बार 2016 मे यही खेल खेला गया।
इसके अलावा बिहार के बाकी विश्वविद्यालय के तरह यंहा भी परीक्षा और रिजल्ट का कोई ठिकाना नही।
आलम ये है कि सितम्बर 2017 में परीक्षा हुए है और आज एक साल बाद तक रिजल्ट का कोई अता-पता नही।
इस मसले को लेकर आज कुछ छात्र विसी से मिलने गए और ज्ञापन सौंपे।
इसके अलावा छात्रों ने गवर्नर, शिक्षा मंत्री और स्वास्थ मंत्री को ज्ञापन सौंपा है।
0 Comments